लेखनी कहानी -07-Mar-2022प्रकृती

*प्रकृति का अनोखा रूप* (कविता)

टेढ़ी-मेढ़ी गलियां देखो मंजिल तक पहुंचाती हैं,
देख मुसाफिर को राहों पर राह बहुत भटकाती हैं।

दिखती पास सदा है ये पर दूर बहुत ले जाती हैं ,
हर प्राणी पर राहें ये स्नेह एक सा लुटाती हैं ।

अंधकार जब छटता है किरणें नभ पर छा जाती हैं,
देख स्वर्ण सी किरणें अम्बर पर धरती भी मुस्काती है।

पर्वत की ये श्रंखलाएं अडिग रहना सिखलाती हैं,
हर चुनौती जीवन की एक नई सीख दे जाती है।

बेहतर हम होते हैं हर दिन ये हमको बतलाती है,
इक पत्थर को तलाश कर ये हीरा सा चमक आती है।।

©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल☯️

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Mar-2022 05:29 PM

बहुत खूबसूरत

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Marium

08-Mar-2022 12:08 AM

बहुत सुंदर रचना

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